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What is CET - CET क्या है और क्या है इसके फायदे


What is CET


केन्द्र सरकार ने बीते बुधवार सरकारी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA)  गठित करने का फ़ैसला किया है.


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इस एजेंसी के तहत एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट ( CET)यानी समान योग्यता परीक्षा आयोजित की जाएगी जो कि रेलवे, बैंकिंग और केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए ली जाने वाली प्राथमिक परीक्षा की जगह लेगी.


वर्तमान में युवाओं को अलग अलग पदों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में भाग लेने के लिए भारी आर्थिक दबाव और अन्य तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके कैबिनेट के इस फ़ैसले की प्रशंसा की है.



प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है, "राष्‍ट्रीय भर्ती एजेंसी करोड़ों युवाओं के लिए एक वरदान साबित होगी. सामान्‍य योग्‍यता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) के ज़रिये इससे अनेक परीक्षाएं ख़त्म हो जाएंगी और कीमती समय के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत होगी. इससे पारदर्शिता को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा."


कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट क्या है?(What is CET)


भारत में हर साल दो से तीन करोड़ युवा केंद्र सरकार और बैंकिग क्षेत्र की नौकरियों को हासिल करने के लिए अलग अलग तरह की परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं.

उदाहरण के लिए बैंकिंग क्षेत्र में नौकरियों के लिए ही युवाओं को साल में कई बार आवेदन पत्र भरना पड़ता है. और प्रत्येक बार युवाओं को तीन-चार सौ रुपये से लेकर आठ-नौ सौ रुपये तक की फीस भरनी पड़ती है.

लेकिन नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी अब ऐसी ही तमाम परिक्षाओं के लिए एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन करेगी.

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इस टेस्ट की मदद से एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के लिए पहले स्तर पर उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग और परीक्षा ली जाएगी.

कैसे होगी ये परीक्षा?


इन परीक्षाओं को देने के लिए युवाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
सरकार की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती परीक्षा युवाओं की इन मुश्किलों को हल कर देगी क्योंकि इस परीक्षा के लिए हर ज़िले में दो सेंटर बनाए जाएंगे.
इसके अलावा इस परीक्षा में हासिल स्कोर तीन सालों तक वैद्य होगा ।

CET

इस परीक्षा से क्या बदलेगा?


शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ये एक ऐसा सुधारवादी कदम है जिसकी काफ़ी समय से प्रतीक्षा की जा रही थी.

 सरकार के यह कदम अच्छा है और इसका असर भी दीर्घकालिक होगा लेकिन ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि ये सुधार की दिशा में पहला कदम है.

एसएससी, बैंक और रेलवे ये तीन रास्ते हैं जहां से सरकारी नौकरियों में प्रवेश होता है. ऐसे में व्यक्ति जब ये इम्तिहान देगा तो इसका स्कोर तीन साल तक वैध रहेगा. इसके बाद युवा एसएससी, बैंक और रेलवे में से किसी भी परीक्षा में बैठ सकेगा. मेरे ख्याल से ये एक बेहतर कदम है."


अब सवाल उठता है कि ये कदम परीक्षार्थियों पर कैसा असर डालेगा.



"पहले आपको हर पेपर के लिए अलग अलग फॉर्म भरने होते थे. एसएससी में क्लर्क और सीजीएल दोनों का पेपर देना होता था तो दोनों के लिए फॉर्म अलग से भरने पड़ते थे. ऐसे में ग़रीब छात्रों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है क्योंकि आईबीपीएस का एक फॉर्म ही जनरल कैटेगरी के लिए आठ सौ रुपये का होता है. और अब बच्चों को ऐसे कई फॉर्म भरने होते हैं, ऐसे में बच्चों पर काफ़ी बोझ पड़ जाता है. अब कम से कम प्री की परीक्षा एक ही हो जाएगी जिसके बाद आप अपनी इच्छा से जिस भी सेक्टर में जाना चाहें, उसके मेंस परीक्षा की तैयारी करवा सकते हैं."

हमारी राय
सरकार की तरफ से उठाया गया ये कदम बहुत सराहनीय है इससे युवाओं को काफी लाभ होगा साथ ही उनके समय और पैसे की बरबादी नहीं होगी।
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धन्यवाद।

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