भारत मे इंटरनेट के 25 साल पुरे हो गए तो चलिए आज हम इसके इतिहास के बारे मे जानते है।
1995 में भारत में पहली बार विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) के सौजन्य से इंटरनेट का कमर्शियल इस्तेमाल शुरू हुआ । उस वक़्त इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत बड़ी बात थी, क्योंकि उस वक्त 9.6केबीपीएस स्पीड की इंटरनेट के लिए 2.40 लाख रुपये देने होते थे, जबकि आज 100एमबीपीएस तक की स्पीड आसानी से मिल जा रही है।
1995 मे 1 MB की फोटो डाउनलोड करने मे 7 मिनट लगती थी क्योंकि उस वक़्त इंटरनेट की स्पीड बहुत कम थी
5 साल बाद यानि 2000 मे इंटरनेट यूज़र की संख्या 55 लाख के पार हो गयी और अब भारत मे इंटरनेट यूज़र्स की संख्या 70 करोड़ के पार हो गयी है
साल 2014-15 में भारत में इंटरनेट (डाटा) का कुल खर्च 83 हजार करोड़ जीबी था जबकि आज हर भारतीय हर महीने औसतन 11 जीबी डाटा खर्च कर रहा है।
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1986 में शुरू हुआ इंटरनेट
भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1989 में ही हो गई थी लेकिन इसका कमर्शियल स्तर पर इस्तेमाल 1995 में शुरू हुआ। 1989 में इंटरनेट का इस्तेमाल शिक्षा और शोध कार्य के लिए ही होता था। उस दौरान नेशनल रिसर्च नेटवर्क (ERNET) के जरिए इंटरनेट मिलता था। इसका संचालन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा किया जाता था। 1995 के दौर में सिर्फ सत्यम इनफोवे एक आईएसपी प्रोवाइडर कंपनी थी, जबकि आज देश में 358 से अधिक आईएसपी कंपनियां हैं जो लोगों को घरों तक इंटरनेट पहुंचा रही हैं।
जियो ने बदल दी सूरत
पिछले सात सालों में भारत में इंटरनेट की सूरत इतनी बदली है जिसका अंदाजा शायद ही किसी को था। 2012-13 तक 30एमबी 3जी इंटरनेट के लिए 10-12 रुपये देने पड़ते थे लेकिन साल 2016 में जियो के बाद 4जी का जन्म हुआ है और लोगों को फ्री में इंटरनेट मिलने लगा। इसके बाद तमाम कंपनियों को 4जी सेवा देनी पड़ी और भारत में इंटरनेट दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सस्ता हो गया। भारत में 1 जीबी डाटा की कीमत 6.75 रुपये है जो कि दुनिया में सबसे सस्ता है, जबकि अफ्रीकी देश मलावी में 1 जीबी डाटा के लिए 2,053 रुपये चुकाने पड़ते हैं।जिओ के आने से पहले इंटरनेट इतना महंगा था की 1 GB डाटा का रिचार्ज लगभग 200 - 300 रुपये तक मे होता था I
INTERNET - Interconnected Network
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